राहुल के संभल के जाने की नाकाम कोशिश पर बीजेपी का राजनीति का हिस्सा

 

राहुल के संभल के जाने की नाकाम कोशिश पर बीजेपी का राजनीति का हिस्सा राहुल गांधी का संभल यात्रा के दौरान मुस्लिम वोटों को लेकर कांग्रेस और सपा के नेताओं की तरफ से की गई बयानबाजी को लेकर भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। बीजेपी का कहना है कि राहुल गांधी और उनके साथियों की मुस्लिम वोटों को लेकर की गई “नाकाम कोशिश” केवल राजनीति के खेल का हिस्सा है और इसका कोई ठोस परिणाम

बीजेपी के नेताओं का मानना है कि कांग्रेस और सपा जैसे दलों का मुस्लिम वोटबैंक पर जोर देने का प्रयास सिर्फ वोटों की राजनीति का हिस्सा है और इससे किसी तरह की वास्तविक विकास की दिशा में कोई योगदान नहीं होने वाला है। बीजेपी के अनुसार, ये दल अपने राजनीतिक हितों के लिए समाज में बंटवारा करने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि बीजेपी समाज के सभी वर्गों के लिए समान विकास और कल्याण की दिशा में काम करने की बात करती है।बीजेपी के प्रवक्ता और नेता इस पर आरोप लगा रहे हैं कि राहुल गांधी और समाजवादी पार्टी जैसे दलों का इस प्रकार का बयान चुनावी रणनीति का हिस्सा है, जिसमें वे मुस्लिम समुदाय के बीच अपनी राजनीतिक पकड़ बनाने की कोशिश कर रहे हैं। बीजेपी का यह भी कहना है कि यह सिर्फ चुनावी हद तक सीमित राजनीति है और असल में उनके पास किसी मजबूत नीति या दृष्टिकोण की कमी है।

साथ ही, बीजेपी ने यह भी कहा कि भारतीय जनता पार्टी सरकार ने मुस्लिम समुदाय के लिए कई योजनाओं का आरंभ किया है और उनकी सरकार का ध्यान केवल धर्म, जाति या समाज के आधार पर किसी एक वर्ग को विशेष प्राथमिकता देने की बजाय सबका विकास करने पर है।संभल में पुलिस बल की तैनाती और नेताओं के प्रवेश पर लगी रोक एक सख्त प्रशासनिक कदम था, जिसे हालात की संवेदनशीलता को देखते हुए उठाया गया था। यह घटनाक्रम राहुल गांधी की यात्रा के संदर्भ में हुआ, जहां कांग्रेस और समाजवादी पार्टी (सपा) के नेताओं द्वारा मुस्लिम वोटों को लेकर बयानबाजी की जा रही थी और स्थानीय प्रशासन ने संभावित विवादों और सुरक्षा के कारण एहतियातन यह कदम उठाया।पुलिस की तैनाती और नेताओं के प्रवेश पर लगी रोक का उद्देश्य किसी भी प्रकार के विवाद को टालना और कानून-व्यवस्था बनाए रखना था। उत्तर प्रदेश में राजनीतिक वातावरण काफी संवेदनशील रहता है, और ऐसे मामलों में प्रशासन को विशेष सतर्कता बरतनी होती है, खासकर जब चुनावी माहौल हो।

बीजेपी ने इसे अपनी राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानते हुए इस कदम को “वोटबैंक राजनीति” और “राजनीतिक विवाद” से बचने के लिए एक जरूरी कदम बताया। बीजेपी का यह भी कहना था कि जब तक राहुल गांधी और अन्य नेता राज्य के विकास और समाज की समग्र भलाई पर बात नहीं करते, तब तक इस तरह के विवादों से दूर रहना ही बेहतर है।इस घटनाक्रम को लेकर सपा और कांग्रेस ने प्रशासन के इस कदम पर सवाल उठाए और इसे राजनीतिक विरोधियों को दबाने की कोशिश बताया। इन दलों का आरोप था कि प्रशासन बीजेपी के दबाव में काम कर रहा था ताकि राहुल गांधी की यात्रा में कोई रुकावट न आए, और उनकी राजनीतिक गतिविधियों को रोकने की कोशिश की जा रही हो।कुल मिलाकर, पुलिस बल की तैनाती और नेताओं के प्रवेश पर रोक की घटनाएं स्थानीय राजनीति के तनावपूर्ण माहौल को दर्शाती हैं, जहां सुरक्षा और कानून-व्यवस्था बनाए रखना प्राथमिकता रहती है, लेकिन इसके साथ ही यह आरोप-प्रत्यारोप का भी कारण बनता है।

राहुल गांधी के संभल जाने को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीखी टिप्पणी की थी। उन्होंने इसे कांग्रेस की नकारात्मक राजनीति और उसकी चुनावी रणनीति का हिस्सा करार दिया। मोदी ने राहुल गांधी की यात्रा को लेकर कहा था कि कांग्रेस पार्टी अब अपने पारंपरिक वोटबैंक की राजनीति में फंस गई है, और उनका ध्यान सिर्फ कुछ खास वर्गों को साधने की कोशिशों पर है।मोदी का यह भी कहना था कि राहुल गांधी और उनकी पार्टी के नेता समाज को बाँटने की राजनीति कर रहे हैं, जबकि बीजेपी का ध्यान “सबका साथ, सबका विकास” और समाज के सभी वर्गों के लिए समान अवसर देने पर है। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कांग्रेस के नेता, जिनकी राजनीति पिछले कुछ दशकों से लगातार घट रही है, अब केवल अपने अस्तित्व को बचाने के लिए इस तरह की बयानबाजी कर रहे हैं।

साथ ही, मोदी ने कहा कि कांग्रेस के नेता केवल वोटों के लिए अपने ही देशवासियों को बांटने की कोशिश कर रहे हैं, जो भारतीय राजनीति और समाज के लिए खतरनाक है। उनका इशारा उन प्रयासों की ओर था जिनमें कुछ नेता मुस्लिम समुदाय के वोटों को लेकर राजनीतिक फायदे की कोशिश कर रहे थे।मोदी ने यह भी कहा कि बीजेपी सरकार का फोकस विकास, सुरक्षा, और सामाजिक एकता पर है, और उन्होंने स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी किसी भी प्रकार के विभाजन की राजनीति में विश्वास नहीं करती।संभल की यात्रा के दौरान, मोदी ने यह भी कहा था कि कांग्रेस, सपा और अन्य विपक्षी दलों को इस तरह की राजनीति से बाहर आकर देश के विकास के मुद्दों पर ध्यान देना चाहिए, क्योंकि अब जनता उनकी पुरानी राजनीति से उब चुकी है और उन्हें विकास की बात करनी चाहिए।

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